
कुछ नया कुछ खुला आसमान मिल गया ,
हवा की ताजगी एक नया पैगाम मिल गया !
प्रकृति आज खुली सांस ले रही है ,
शायद उसको भी आज आराम मिल मिल गया !
चिडियो की ध्वनि में एक अलग सी मुस्कहरात है ,
शायद उनको भी एक नया मकान मिल गया !
कुछ तो कमी थी इस जीवन में ,
आज उसका आभास हुआ एहसास हुआ !
चले फिर अपनी गलतियों को सुधारने ,
जिसका आज हमको इतना दुखद परिणाम मिल गया !
जिनको हम पिंजरे में बंद कर देते थे ,
आज वो हुम्हे बंद करके आस्मां में उड़ चले !!!
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Poet
Akshay Gupta
Tags: Hindi , कविता, बदलते पल
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