टूट के गिरना फिर खिलना सृष्टि ने हमको ये समझाया है
सबको सुरक्षित रख कर घर में एक नया इतिहास रचाना है
टूट चूका है धर्ये जिनका आओ उनका हौसला बढ़ाते जाए
मिलकर इस मुश्किल घडी में हम एक दूसरे का सहारा बन जाए
अंधेरे के बाद एक प्रकाश उजाला कर आता है
यु ही नहीं बिना पिग्ले सोना बन जाता है
समय गया तो सावन बीता मौसम पतझर का आया है
टूट के गिरना फिर खिलना सृष्टि ने हमको ये समझाया है
साथ लड़ेंगे साथ उठेंगे हमको अब जीत जाना है
गिर के संभालना फिर चलना एहि तो हम्हे बचन में सिखाया है
पंखो में उड़ान भरके छु लेंगे आसमानो को
रंग बिरंगे गुलज़ारो में खिलखिलायेंगे भवरे फिरसे
नहीं रोक सकते काटो में खिलने से गुलाब को
सुनाएंगी एक नयी अध्भुत कहानी दिल से
समय गया तो सावन बीता मौसम पतझर का आया है
टूट के गिरना फिर खिलना सृष्टि ने हमको ये समझाया है
कवि
अक्षय गुप्ता
Tags: Hindi , कविता , समय गया तो सावन बीता
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