
एक दिन यूही बैठे हुए मन में कुछ सवाल आये
कितना अच्छा हो अगर सब एक समान हो जाए
ना गिला ना शिखवा सारे भेद भाव मिट जाए
जैसे विद्यालय में एक समान विद्यार्थी हो जाए
ना उच्च ना नीच ये भावना कही ना रहे
सब एक दूसरे का सम्मान करने लग जाए
कितना अच्छा हो अगर सब एक समान हो जाए
गरीबी का इस जहा से नामोनिशान मिट जाए
और अमीरो का घमंड टूट कर चकनाचूर होजाये
ना कोई किसी का शोषण करे ना ही किसीको को सताये
तब सब समाज के जन कितना क्रितार्थ हो जाए
कितना अच्छा हो अगर सब एक समान हो जाए
ना ही कोई भूखा रहे ना ही कोई चोरी का विचार किसीके के मन में आए
सब जगह हो सुख का मौसम हर जगह से बुराई मिट जाए
दिल में दबि आकांशाओ को पुरे करे सब, सबकी प्रतिभा उभर के आये
सब पड़ लिख कर इस समाज को कितना शिक्षित और विकसित बनाये
कितना अच्छा हो अगर सब एक समान हो जाए
कितना अच्छा हो हम सब उपर वाले का अंश है ये बात सबको समज आ जाए
हर जगह हरियाली ही हरियाली हो फिर पतझर का मौसम कभी ना आए
ना हो किसीकी शान ना हो किसी को अभिमान
ना ही ले कोई किसिका का इम्तिहान
ना ईर्षा ना दुएष सभी तरह के दोष मिट जाए
सबके हिर्दय में एक विनर्म और आत्मीयता की भावना जाग्रित हो जाए
कितना अच्छा हो अगर सब एक समान हो जाए
सबके ऊपर छत हो सबके ऊपर रहे रब की छाया
सब एक दूसरे का सहारा बने ऐसी हो प्रभु की माया
आओ ये एक छोटी सी मन की आशाओ को सब जन तक पहुंचाए
इन विचारो के साथ सबके मन में एक दीप जलाये
फिर कितना अच्छा हो ना अगर सब एक समान हो जाए |
कवी
अक्षय गुप्ता
Tags: अगर सब एक समान हो जाए , कविता , Hindi
ना गिला ना शिखवा सारे भेद भाव मिट जाए
जैसे विद्यालय में एक समान विद्यार्थी हो जाए
ना उच्च ना नीच ये भावना कही ना रहे
सब एक दूसरे का सम्मान करने लग जाए
कितना अच्छा हो अगर सब एक समान हो जाए
गरीबी का इस जहा से नामोनिशान मिट जाए
और अमीरो का घमंड टूट कर चकनाचूर होजाये
ना कोई किसी का शोषण करे ना ही किसीको को सताये
तब सब समाज के जन कितना क्रितार्थ हो जाए
कितना अच्छा हो अगर सब एक समान हो जाए
ना ही कोई भूखा रहे ना ही कोई चोरी का विचार किसीके के मन में आए
सब जगह हो सुख का मौसम हर जगह से बुराई मिट जाए
दिल में दबि आकांशाओ को पुरे करे सब, सबकी प्रतिभा उभर के आये
सब पड़ लिख कर इस समाज को कितना शिक्षित और विकसित बनाये
कितना अच्छा हो अगर सब एक समान हो जाए
कितना अच्छा हो हम सब उपर वाले का अंश है ये बात सबको समज आ जाए
हर जगह हरियाली ही हरियाली हो फिर पतझर का मौसम कभी ना आए
ना हो किसीकी शान ना हो किसी को अभिमान
ना ही ले कोई किसिका का इम्तिहान
ना ईर्षा ना दुएष सभी तरह के दोष मिट जाए
सबके हिर्दय में एक विनर्म और आत्मीयता की भावना जाग्रित हो जाए
कितना अच्छा हो अगर सब एक समान हो जाए
सबके ऊपर छत हो सबके ऊपर रहे रब की छाया
सब एक दूसरे का सहारा बने ऐसी हो प्रभु की माया
आओ ये एक छोटी सी मन की आशाओ को सब जन तक पहुंचाए
इन विचारो के साथ सबके मन में एक दीप जलाये
फिर कितना अच्छा हो ना अगर सब एक समान हो जाए |
कवी
अक्षय गुप्ता
Tags: अगर सब एक समान हो जाए , कविता , Hindi
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